वेदान्त सत्संग आश्रम, वेदान्त पुरम,पपनामऊ, अनौराकलां, चिनहट, लखनऊ पर दिनाँक 17-4-2022 (रविवार) के आम-सभा की सूचना प्रिय बंधुओ, हम सभी...
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Vivartvad (विवर्तवाद)
पंचदशी ब्रह्मानंदान्तर्गत (अद्वैतानन्द) मेंश्लोक संख्या 49, 50, 51 में सृष्टि निर्माण की तीसरा सिद्धान्त विवर्तवाद--के अनुसार *कारण* तीनों काल में...
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Jeevan ka uddeshya (जीवन का उद्देश्य)
यदि अब तक जीवन का उद्देश्य निश्चित न किया हो तो आज ही, इसी समय कर लो। उद्देश्य हीन जीवन व्यर्थ है। एक ओर...
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Kshanbhangur (क्षणभंगुर)
यह जीवन क्षणस्थायी है, संसार के भोग-विलास की सामग्रियाँ भी क्षणभंगुर हैं। यथार्थ रूप से वे ही जीवित हैं जो...
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Brahm (ब्रह्म)
श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तं ग्रंथ कोटिभ:। ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापर:।। जो विभिन्न ग्रंथों में कहा गया है, उसे (मैं)...
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Gurudev (गुरुदेव)
'आचार्यं मां विजानीयात्' गुरु को मेरा रूप ही जानो अर्थात् गुरु और भगवान् में कोई भेद नहीं है। जो गुरु-वचनों में...
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Vichar (विचार)
विचार करो- मेरे चित्तमें जो अशान्ति या असंतोष है, वह किस अभावके कारण है ? क्या मैं अनेक प्रकारके अभावोंसे...
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ध्यान (Dhyan)
ध्यान में एकाग्रता का महत्त्व उतना नहीं है जितना महत्त्व भाव का है। जहाँ मन को एकाग्र करना है, वहाँ...
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Gyan ka Path (ज्ञान का पथ)
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत। क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति ॥ {(हे मनुष्यों !) उठो, जागो (अपनी चेतना में...
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Pravritti Nivritti (प्रवृत्ति निवृत्ति)
प्रवृत्तौ जायते रागो निर्वृत्तौ द्वेष एव हि। निर्द्वन्द्वो बालवद् धीमान् एवमेव व्यवस्थितः॥ (प्रवृत्ति में राग होता है, निवृत्ति में...
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Aparivartaniy Atma (अपरिवर्तनीय आत्मा)
अयोऽग्नियोगादिव सत्समन्वया- न्मात्रादिरूपेण विजृम्भते धीः। तत्कार्यमेतद्द्वितयं यतो मृषा दृष्टं भ्रमस्वप्नमनोरथेषु ॥ (जैसे अग्नि का संयोग होने से चैतन्य लोहे का अग्नि जैसा...
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Suryadev (सूर्यदेव)
देवः किंबांधवस्स्यातिय सुहृदथवाचार्याहोस्विदर्यों। रक्षावर्क्षुनदीपोगुरुरुत जनकोजीवितं बीजमोक्षः॥ एवं निर्णीयते यः किमिति नजगतां सर्वथा सर्वदो सौ। सर्वाकारोपकारी दिशतु दशशतमीषुरभ्यर्थितं नः॥ (वे भगवान सूर्यदेव, जिनके विषय में...
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Avinashi (अविनाशी)
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः । भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्यम् ॥ (हे पृथापुत्र (अर्जुन) ! दैवी स्वभाव को धारण करके महात्मा...
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Punyatma Purush (पुण्यात्मा पुरुष)
ब्रह्माम्भोधिसमुद्भवं कलिमलप्रध्वंसनं चाव्ययं श्रीमच्छम्भुमुखेन्दुसुन्दरवरे संशोभितं सर्वदा। संसारामयभेषजं सुखकरं श्रीजानकीजीवनं धन्यास्ते कृतिनः पिबन्ति सततं श्रीरामनामामृतम्॥ (वे पुण्यात्मा पुरुष धन्य हैं जो...
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Prabhu (प्रभु)
हमारे सारे जगत् का कण-कण प्रभु में स्थित है, श्वास-प्रश्वास और जीवन-मरण सब उन्हीं के अंदर, उन्हीं की प्रेममयी प्रेरणा...
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Avinashi Paramatma (अविनाशी परमात्मा)
इह चेदवेदीदथ सत्यमस्ति न चेदिहावेदीन्महती विनष्टिः। भूतेषु भूतेषु विचित्य धीराः प्रेत्यास्माल्लोकादमृता भवन्ति॥ {मानव शरीर पाकर यदि इस जन्म में ईश्वर...
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Dakshinamurti (दक्षिणामूर्ति)
प्रागस्वाप्समिति प्रबोधसमये यः प्रत्यभिज्ञायते, तस्मै श्रीगुरुमूर्तये नम इदं श्रीदक्षिणामूर्तये॥ (ज्ञान देते समय जो यह पहचान करा देते हैं कि पूर्व...
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Tatva Darshan (तत्व दर्शन)
दृश्यवारितं चित्तमात्मनः । चित्वदर्शनं तत्त्वदर्शनं ॥ (साधक द्वारा जब मन को विषयों से हटाकर अन्तर्मुख कर लिया जाता...
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