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भक्त की दृष्टि में प्रपञ्च सहित भगवान परमार्थ है और ग्यानी की दृष्टि में परमार्थ वस्तु के साथ माया का कोई सम्बंध नहीं है। ग्यानी सोने में कुंडल आदि का अभाव देखता है और भक्त सोने को कुंडल आदि के साथ देखता है।