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जल से भरे हुए मिट्टी के विभिन्न पात्रों में जिस प्रकार एक ही सूर्य के अनेक प्रतिबिंब प्रतीत होते हैं उसी प्रकार यह जगत भी एक ही परम सत्ता की अभिव्यक्ति है। उस परम सत्ता की, अनेक रूपों में अभिव्यक्ति होने के कारण ही हमको जगत में विविधता का भ्रम होता है। हरि ॐ !