॥श्री गुरूवे नमः॥
(परम् पूज्य परमादर्श आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री अभयानन्द सरस्वती जी महराज)
(परम् पूज्य परमादर्श आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री अभयानन्द सरस्वती जी महराज)
कुलं पवित्रं जननी कृतार्था वसुन्धरा पुण्यवती च तेन।
अपारसंवित्सुखसागरेऽस्मिन् लीनं परे ब्रह्मणि यस्य चेतः॥
(स्कंन्दपुराणम्)
(कुल पवित्र हो जाता है, माता कृतार्थ हो जाती है, वह धरती पुण्यवती हो जाती है (वह देश धन्य हो जाता है)
जहाँ उस अपार विज्ञानानंदघन समुद्ररूप परब्रह्म परमात्मा में सर्वथा लीन चित्त वाले महान सपूत जन्म लेते हैं।)
परमादर्श आचार्य महामण्लेश्वर समिति द्वारा परमादर्श आचार्य महामण्लेश्वरों की पावन उपस्थिति में आपका “परमादर्श महामण्लेश्वर” के रूप में पट्टाभिषेक किया गया ; तभी से आप परमादर्श आचार्य महामण्लेश्वर प० पू० स्वामी अभयानंद सरस्वती जी के नाम से जाने जा रहे हैं
आप आद्य शंकराचार्य जी के मत को मानने वाले सभी वेदान्त शास्त्रों के ज्ञाता है साथ ही साथ रामचरित मानस, भगवत गीता, श्रीमद भागवत महापुराण आदि विषयों पर भी आपकी सारगर्भित ‘प्रसन्न-गम्भीर प्रवचन शैली‘ भी श्रवण योग्य है। आप उत्तर प्रदेश के कई शहरों में आश्रम स्थापित करके सनातन धर्म की अखण्ड परम्परा को गति प्रदान कर रहे हैं, जिसमें हरिद्वार, लखनऊ, मेरठ एवं सीतापुर प्रमुख है।
इससे आश्रम सेवा कार्य का संचालन यथा-रसोई, भण्डार, गौ-सेवा अतिथि सन्त-सेवा, भण्डारी का वेतन आदि का व्यय वहन किया जाता है, साथ ही साथ आश्रम में निवास करने वाले ब्रम्हचारीगण, सन्यासियों की सेवा पर भी खर्च किया जाता है।
5. श्री शौनक आर्ष विद्या प्रन्यास ट्रस्ट का गठन श्री स्वामी जी द्वारा किया गया है, जिसकी आजीवन सदस्यता शुल्क रू0 2001.00 मात्र है। सभी साधकों से इसकी सदस्यता ग्रहण करने का अनुरोध है।
6. आश्रम में सत्संग हाल, ब्रम्हचारी निवास, अध्ययन कक्ष, साधक निवास आदि का निर्माण वांछित है। इस सेवा में उदारता से आर्थिक सहयोग प्रार्थनीय है।
7. ‘भूमिदान सभी दानों में सर्वोत्तम दान है‘, इसलिए इस सेवा कार्य में मुक्त हस्त से सेवा का आवाहन है।
8. श्री दक्षिणामूर्तेश्वर महादेव मन्दिर में सुबह-शाम पूजन व आरती होती है। सांयकाल 05ः00 बजे से 06ः30 बजे के मध्य ‘शिव महिम्न‘ का नित्य पाठ किया जाता है। मन्दिर के श्रृंगार, पूजन, विग्रह, हवन तथा पुजारी के वेतन व्यय हेतु सेवा देकर पुण्य लाभ प्राप्त करें।
9. ‘श्री शौनक-सुधा‘ पत्रिका मासिक रूप से प्रकाशित होती है, जिसमें वार्षिक, पंचवार्षिक, संरक्षक एवं आजीवन सदस्य बनकर प्रतिमाह सारगर्भित लेखों का अध्ययन लाभ करें।
10. प्रातः 08ः00 बजे से 09ः00 बजे सायं 04ः00 बजे से 05ः00 बजे तक देश के किसी प्रतिष्ठित सन्यासी द्वारा महात्मा द्वारा प्रतिदिन आश्रम के श्रुत्यालय में प्रवचन होता है।