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जड़ का चेतन से जुड़ना ही अध्यास है। आत्मा का शरीर से जुड़ना अध्यास है। आत्मा अद्वय और अनन्त है। यह (आत्मा) अधिष्ठान है इसी पर देश, काल, वस्तुएं अध्यस्त हैं।
हरि ऊँ!