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अध्यारोप के कारण जीव भाव का आभास साक्षी में भी होता है, किन्तु आवरण के नष्ट होने पर (द्रष्टा और दृश्य) का भेद स्पष्ट हो जाता है जिससे जीव भाव भी नष्ट हो जाता है।