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आत्मा ही सत्य है, इसके अतिरिक्त जो भी दृश्य है या परि्लक्षित है, वह सब मिथ्या है। चिर सत्य एवं मिथ्या का विवेक ही तत्व के विवेक की पराकाष्ठा है। आत्मा जो हमारी वास्तविकता है, वह हमारी शरीर की धारणाओं एवं कल्पनाओं के साथ अन्योन्य अध्यास के द्वारा आपस में मिल गये हैं।                    हरि ॐ ! 

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