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इस एक स्थूल शरीर को ही मैं समझने के कारण जीव अल्प शक्तिमान हो जाता है क्योंकि किसी भी शरीर की शक्ति अल्प ही हो सकती है। उसी प्रकार एक ही मन (सूक्ष्म शरीर के साथ) तादात्म्य होने से वह अल्पज्ञ हो जाता है। हरि ॐ !