परमात्मा के साक्षात अनुभव के सामने ब्रह्मलोक तुच्छ है। ब्रह्मलोक आने और जाने वाला है। हम लोग न जाने कितनी बार ब्रह्मलोक गये होंगे। न जाने कितनी बार स्वर्ग गये होंगे। न जाने कितनी बार इन्द्र बने होंगे, चींटी आदि बने होंगे। हमको अपने चित्त को अपनी आत्मा के अनुभव से जोड़ना है।
हरि ऊँ !
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