स्वामी अभयानंद जी महाराज की वेबसाइट में आपका हार्दिक स्वागत हे.
+919773591673
WhatsApp Share
सारे प्राणी जिसमें स्थित हैं और सारे प्राणियों में जो स्थित है वो ‘मैं’ हूँ। वो “आत्मा” मैं हूँ। जैसे सारे घड़ों में मिट्टी है और मिट्टी में हीं घड़ा है। सारी तरंगों में जल है और जल में ही सारी तरंगें हैँ। इसको कहते हैं अन्वय और व्यतिरेक।