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अनुभव के क्षणों में आत्मा और अहंकार दोनों होते हैं। यदि केवल अहंकार होता तो अहंकारी दोष होता। जब दोनों है तो दोनों में सांसरित्‍व का बीज है।
हरि ऊँ !

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