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इह चेदवेदीदथ सत्यमस्ति न चेदिहावेदीन्महती विनष्टिः। 

भूतेषु भूतेषु विचित्य धीराः प्रेत्यास्माल्लोकादमृता भवन्ति॥

{मानव शरीर पाकर यदि इस जन्म में ईश्वर को जान लिया तब तो अविनाशी परमात्मा (ब्रह्म) (प्राप्त हो चुका) है। यदि इस जन्म में ब्रह्म का साक्षात्कार नहीं किया तो बहुत बड़ी हानि हो जायेगी (अर्थात जन्म मरण के चक्कर में फंस कर अनन्त दुखों को भोगना पड़ेगा।) अतः सर्वत्र सभी प्राणियों में उस सर्व व्यापक ब्रह्म का बिशेष रूप से चिंतन करके बुद्धिमान महापुरुष इस शरीर (लोक) से मुक्त हो जाते हैं।}

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