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अविवेक के कारण ही संसार के सारे दुःख हैं । विवेक से वासना की धधकती हुई अंतर्ज्वाला को भी शीतल किया जा सकता है । विचार दिव्य दृष्टि का दूसरा नाम है, जो परमात्मा से साक्षात्कार और परमानन्द की अनुभूति का सहज कारण होता है । 

हरि ऊँ ! 

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