जैसे एक बीज के अंदर अंकुर, तना, शाखाएं, पत्ते, फूल और फल अव्यक्त रूप से छिपे रहते हैं। उसी प्रकार परमेश्वर में यह जगत अव्यक्त रूप में स्थित होता है और जब उसे इच्छा हुई तो अपनी माया शक्ति के द्वारा देश काल की रचना कर अनेकानेक विचित्रताओं से परिपूर्ण जगत को व्यक्त कर देता है ।
हरि ऊँ !
Post Views:
1,189
लोग इन करे
कम्युनिटी सदस्य
-
Active 1 month, 2 weeks ago
-
Active 3 months ago
कोन ऑनलाइन हे ?
There are no users currently online