swami

‘ब्रह्मज्ञानी’ ‘आत्मा’ को ही ‘ब्रह्म’ का रूप जानता है और अज्ञानी मनुष्य हृदय में बसने वाले इस ‘ब्रह्मरूपी आत्मा’ को नहीं जान पाता।
हरि ॐ !

Menu
WeCreativez WhatsApp Support
व्हाट्सप्प द्वारा हम आपके उत्तर देने क लिए तैयार हे |
हम आपकी कैसे सहायता करे ?