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जिस प्रकार मधुमक्खी फूलों पर मंडराती हुई गहराई से मधु को ग्रहण कर लेती है उसी प्रकार विद्वतजन उपनिषदों के मकरन्द रूपी ब्रह्मानन्द को प्राप्त कर लेते हैं।
हरि ॐ!

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