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इस नश्वर जगत में तो सूर्य, चन्द्रमा, आदि का जड़ प्रकाश है । अग्नि में लोहा डालने पर जिस प्रकार लोहे का स्वरूप अग्नि जैसा हो जाता है, उसी प्रकार यदि संसार ब्रह्म के प्रकाश में सराबोर होता, तो वह भी ब्रह्मस्वरूप हो जाता किन्तु यथार्थ में ऐसा नहीं है ।