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आत्म प्राप्ति के लिये चित्त शुद्धि आवश्यक है। निष्काम कर्म एवं धर्माचरण से चित्त शुद्धि होती है संतों के आश्रय में चित्त के एकाग्रता की उपासना, ज्ञान साधना की कुंजी है

हरि ऊँ !

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