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गुरु कृपा, भक्ति का सशक्त एवं समर्थसाधन है। गुरु कृपा से ही भगवदनुग्रह प्राप्त होता है। काल, कर्म और स्वभाव की सीमाओं से उत्पन्न मानव असमर्थताएं, भगवदनुग्रह से ही दूर हो सकती हैं। इस प्रकार भक्ति सर्वथा कृपा साध्य है, साधन साध्य नहीं।