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पृथ्वी की वनस्पतियों को पृथ्वी से अलग करके देखना जिस प्रकार अज्ञान का द्योतक है वैसे ही इस जगत् को परमेश्वर से अलग स्वतन्त्र अस्तित्व में देखना भी अज्ञान है। जगत् ईश्वर की रचना है। जगत् ईश्वर में और ईश्वर जगत् में समाया हुआ है।
हरि ऊँ !

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