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लौह चूर्ण में जैसे चुम्बक अपनी शक्ति के अनुसार चूर्ण के कणों को अपने साथ चिपका लेता है, उसी प्रकार पञ्चमहाभूतों को जीवात्मा अपनी वासनाओं के अनुसार अपने साथ सम्बंधित कर लेता है।
हरि ऊँ!