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मोह रूपी सागर में भी, समुद्र में अनन्त लहरों की तरह अनन्त भ्रान्तियाँ रूपी लहरें हैं, विक्षेप हैं जिनका सामना करना बड़ा कठिन है। इन सबसे ईश्वर कृपा, गुरु कृपा और शास्त्र कृपा ही हमें बचा सकती है। हरि ॐ !