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गीले ईंधन से अग्नि का सम्बन्ध होने पर उससे चारों ओर जिस तरह धुआँ फैलता है, ठीक उसी तरह इस महान् भूत की साँस के रूप में ही ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, इतिहास, पुराण, कला, उपनिषद, श्लोक, सूत्र, व्याख्यान, व्याख्यानों के व्याख्यान, हवन के पदार्थ, यज्ञ के भोज्य तथा पेय पदार्थ, यह लोकपरलोक, सभी भूत चारों ओर फैले हैं। 
हरि !

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