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भोक्तारं यज्ञतपसां सर्वलोकमहेश्वरम् ।
सुहृदं सर्वभूतानां ज्ञात्वा मां शान्तिमृच्छति ॥
(मुझे यज्ञ और तपों का भोगने वाला, सर्व लोकों का महेश्वर तथा प्राणिमात्र का सुहृद (आत्मजन), ऐसा तत्त्व से जान कर (योगी पुरुष) शान्ति को प्राप्त होता है।)