स्वामी अभयानंद जी महाराज की वेबसाइट में आपका हार्दिक स्वागत हे.
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मैं आनंद स्वरूप हूँ। मैं अपने को कभी भी अप्रिय नहीं होता। आत्मा की दृष्टि से ही सब प्रिय होता है, इससे सिद्ध होता है कि मैं हूँ, मैं सदा प्रकाशित रहता हूँ ………. मैं ब्रह्म हूँ और सत-चित-आनंद मेरा स्वरूप है।