ezimba_new_lo
‘चेतना’ अपने समक्ष उपस्थित वस्तु को अपनी सत्ता नहीं मानती है, यही ज्ञान का आधार है । वस्तु के समक्ष उपस्थित होने पर वह घोषणा करती है कि यह मैं नहीं हूँ (नेति-नेति) तभी उसे उस वस्तु का ज्ञान होता है।
हरि ऊँ !

Menu
WeCreativez WhatsApp Support
व्हाट्सप्प द्वारा हम आपके उत्तर देने क लिए तैयार हे |
हम आपकी कैसे सहायता करे ?