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वह सत्ता निर्गुण है, निराकार है (वह शिव है) ………….निर्गुण है और निराकार है। सत्ता है, सारी सृष्टि का नियंता है लेकिन उसमें कोई गुण नहीं हैं। क्योंकि जैसे ही आप किसी के भीतर गुण का आरोप करेंगे वैसे ही सीमा बन जायेगी, भेद बन जायेगा। गुण हमारे भीतर भेद पैदा कर देता है।

हरि ऊँ ! 

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