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सालोक्य, सार्ष्टि, सारूप्य, सामीप्य और सायुज्य — पाँच प्रकार की मुक्ति होती हैं। ‘सालोक्य’ मुक्तिमें भगवान का लोक प्राप्त होता है। भगवान के समान ऐश्वर्य की प्राप्ति का नाम ‘सार्ष्टि’ है। भगवान की निकटता की प्राप्तिका नाम ‘सामीप्य’ है। भगवान विष्णु जैसे चतुर्भुज रूप प्राप्ति को ‘सारूप्य’ मुक्ति कहते हैं। भगवान से एकाकार हो जाना ‘सायुज्य’ मुक्ति है।
हरि ॐ !

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