वेदांत में ब्रह्म परम-सत्ता के रूप में विवेचित है, वही समस्त जगत का मूल कारण है । स्वरुप और तटस्थ भेद से ब्रह्म के लक्षण दो प्रकार के बताये गए है । स्वरुप लक्षण में वस्तु के तात्विक रूप का परिचय प्राप्त होता है और तटस्थ लक्षण में किसी विशिष्ट गुण के आधार पर विवेचन होता है ।
हरि ऊँ !
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