परमात्म तत्व की प्राप्ति भी सुगम है और अहं की निवृत्ति भी सुगम है। कारण कि परमात्म तत्व की नित्य प्राप्ति है और अहं की नित्य निवृत्ति है। अहं को मिटाने का प्रयत्न करने से अहं शिथिल तो पड़ जाता है, पर मिटता नहीं। परन्तु सर्वत्र परिपूर्ण परमात्म-सत्ता का अनुभव होने से अहं मिट जाता है।
हरि ॐ !
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