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पुरुष चेतन है और प्रकृति जड़ है। पुरुष और प्रकृति के मिलने से, जड़ – चेतन मिलने से चौबीस तत्वों की उत्पत्ति होती है उससे इस सृष्टि का निर्वाह होता है। चौबीस तत्वों में से आठ प्रकृति हैं और सोलह विकृति हैं।