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प्रवृत्तौ जायते रागो निर्वृत्तौ द्वेष एव हि।
निर्द्वन्द्वो बालवद् धीमान् एवमेव व्यवस्थितः॥
(प्रवृत्ति में राग होता है, निवृत्ति में द्वेष होता है इसीलिए बुद्धिमान पुरुष बालक की भांति द्वन्द रहित होकर जैसे हैं उसी भाव में स्थित रहते हैं
।)
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