सदगुरु चलायमान संगम हैं। उनके नेत्रों में स्नेह रूपी गंगा का अमिय प्रवाह होता है, उनके चरणों में कर्म रुपी यमुना प्रवाहित होती हैं और उनके मौन में ब्रह्म विद्या रूपी सरस्वती प्रवाहित होती हैं।
हरि ॐ !
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