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अन्वय व्यतिरेक से संसार का मूल खोजें। अहंकार के होने और न होने पर दोनों का अध्ययन करें। अहंकार होता है तभी संसार है संसरण है, अहंकार के न होने पर सबका अभाव है, सुषुप्तिवत। आत्मा सदैव है, सर्वत्र है, साक्षी है; सबके ज्ञाता हम हैं। अतः संसरण अहंकार का है न कि आत्मा का।
हरि ऊँ !

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