स्वामी अभयानंद जी महाराज की वेबसाइट में आपका हार्दिक स्वागत हे.
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संसारी आदमी वह है जिसका मन बर्फ बन चुका है, स्थूल रूप ले चुका है, अटक पड़ा है। साधक वह है जिसका मन पानी के सामान तरल है। वह कुछ चिंतन कर सकता है, मन को जिस आकर का बनाना चाहे बना सकता है। संत वह है जिसका मन ज्ञान की अग्नि में तपने के कारण भाप बन कर उड़ चुका है, वह मन रहित है। हरि ॐ !