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जीवन के, साधक के, मनुष्य के छ: शत्रु हैं – काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मात्सर्य। इनको षड वर्ग दोष कहा जाता है। सातवां शत्रु इन सबकी जड़ – ‘कामना’  है।

हरि ऊँ !

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