स्वामी अभयानंद जी महाराज की वेबसाइट में आपका हार्दिक स्वागत हे.
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दो प्रकार का मन होता है एक शुद्ध मन और एक अशुद्ध मन।…. अशुद्ध मन वो है जिसमें कामना और संकल्प जुड़ गया।……. कोई कामना न उठे …………उस समय वो मन आपका परम शुद्ध होगा।…………. हरि ॐ !