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पुरुष है और प्रकृति है। पुरुष चेतन है और प्रकृति जड़ है। पुरुष और प्रकृति के मिलने से, जड़-चेतन मिलने से चौबीस तत्वों की उत्पत्ति होती है और उससे इस सृष्टि का निर्वाह होता है। हरि ॐ !