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स्वरूप को उत्पन्न नहीं करना है वह तो स्वतः सिद्ध है। विचार रूपी सूर्य के उदय होने पर ही अज्ञान रूपी (कोहरा) अंधकार दूर होगा। अज्ञान बुद्धि में है। अतः ज्ञानवृत्ति आवश्यक है।
हरि ऊँ !

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