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तीन ऋण हैं पितृ ऋण, देव ऋण, ॠषि ऋण । हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥ इस मंत्र का जाप इन तीनों ऋणों से मुक्ति दिलाने में समर्थ है। हरि ऊँ !