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वैराग्य का अर्थ है आवश्यकता से अधिक की चाहत करने वाली संग्रह बुद्धि का त्याग। जितना आवश्यक है उतना ही ग्रहण करें बाकी का त्याग करें। वैराग्य भी चार प्रकार का होता है – (१) क्षणिक वैराग्य (२) दीर्घ वैराग्य (३) मरकट वैराग्य (४) श्मशान वैराग्य हरि ऊँ !