विचार करो- मेरे चित्तमें जो अशान्ति या असंतोष है, वह किस अभावके कारण है ? क्या मैं अनेक प्रकारके अभावोंसे घिरा हुआ हूँ ? वह कौन-सी वस्तु है, जिसके प्राप्त होने पर सारे अभाव पूर्ण हो जायेंगे ? निश्चय ही ऐसी वस्तु एकमात्र परमात्मा है। जब तक वे नहीं मिलेंगे, तब तक इस जीवनके अभावोंसे छुटकारा कहाँ? मैं तो उन्हें प्राप्त करके रहूँगा।
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