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अपने आपको शरीर समझने के कारण ही हम विश्व से अलग हो जाते हैं, जब हम अपने आपको जीव समझते हैँ, तब हम अनन्त अग्नि के एक स्फुलिंग होते हैं, जब हम अपने आपको आत्मस्वरूप मानते हैं, तब हम विश्व होते हैँ।