स्वामी अभयानंद जी महाराज की वेबसाइट में आपका हार्दिक स्वागत हे.
+919773591673
WhatsApp Share
वृत्तियों का सोना ही सुषुप्ति है, वृत्तियों का जागना ही जागृति है, वृत्तियों का चलना ही स्वप्न है। परिच्छिन्न अहं में ही यह तीनों अवस्थाएं हैं । मैं इन तीनों का साक्षी हूँ ।